हम राजस्थानी
संदीप भुतोड़िया
सामाजिक सांस्कृतिक कार्यकर्ता
ऐसे समिट प्रदेश के कलाकारों और हुनरमंदों को मंच देंगे और रोजगार के मौके बढ़ाएंगे।
इंवेस्टमेंट समिट ही नहीं, प्रदेश में हों कल्चरल व सोशल समिट
जयपुर की मीनू हाथ के कंगन का काम करती हैं, वो 25 से ज्यादा महिलाओं को रोजगार भी दे रही हैं। उनके बनाए कंगन शहर के बाहर भी जारहे हैं, लेकिन उन्हें कोई नहीं जानता है। इस अनुभव से गुजर रही मीनू राजस्थान में अकेली नहीं है। प्रदेश में हजारों ऐसी महिलाएं और पुरुष हैं जिन्हेंउनकी मेहनत और वैल्यू के हिसाब से न तो पैसा मिल रहा है न पहचान। इसकी सबसे बड़ी वजह इन प्रतिभाओं को ऐसा कोई मंच नहीं मिलना है, जहांदुनिया इनके हुनर से रूबरू हो सके।
राजस्थान में दो दशक से निवेशकों को आकर्षित करने के लिए इंवेस्टमेंट समिट का चलन बढ़ा है। कई महीने पहले इसकी तैयारी शुरू हो जातीहै। इस भव्य आयोजन में देश-दुनिया के नामी उद्योगपति शिरकत करते हैं। करोड़ों रुपए के एमओयू होते हैं। इनमें से कई धरातल पर उतरते हैं और कईकागजों में ही रह जाते हैं। अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए निवेशकों को लुभाने में कुछ भी बुरा नहीं है। लेकिन इस धुन में प्रदेश के उन हुनरमंदों कोअपने हाल पर नहीं छोड़ा जा सकता जो राजस्थान की कला व संस्कृति को जीवंत बनाए हुए हैं। कहते हैं कि सफलता के लिए अपनी कमजोरियों कोठीक करना चाहिए लेकिन इस कवायद मैं अपने मजबूत पहलुओं को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। यही कारण है कि प्रदेश सरकार को इंवेस्टमेंटसमिट की तर्ज पर अब सोशल इंवेस्टमेंट समिट और कल्चरल इंवेस्टमेंट समिट भी करानी चाहिए।
राजस्थान की जीडीपी में 15 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी पर्यटन क्षेत्र की है। हर 15वां विदेशी पर्यटक राजस्थान के किसी न किसी शहर मेंजरूर आता है। राजस्थान टूरिज्म की ताकत यहां की बेजोड़ कला, अद्वितीय संस्कृति और एतिहासिक धरोहर है। ऐसे में पर्यटन से जुड़े लोक कलाकारहोटल इंडस्ट्री, ट्रैवल इंडस्ट्री, हस्तशिल्प से जुड़े लोगों के लिए भी कल्चरल समिट होनी चाहिए। इसमें राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय बड़ी होटल चैन्स, ट्रेवेलकंपनियां, एविएशन इंडस्ट्री के लोगों को बुलाया जाना चाहिए। इससे न केवल प्रदेश में पयर्टन और सुविधाएं बढ़ेगी बल्कि रोजगार भी मिलेगा। इससेअच्छा काम कर रहे कलाकारों और हुनरमंदों को एक मंच मिलेगा। अगर हम अपने हस्तशिल्प को बड़े मंच पर प्रदर्शित करने में कामयाब होते हैं तो इससेहमारा एक्सपोर्ट भी बढ़ेगा। राजस्थान में फिल्मों की शूटिंग की अपार संभावनाएं हैं। लेकिन इसे प्रमोट करने का हमारे पास कोई सिस्टम नहीं है।कल्चरल इंवेस्टमेंट समिट इसके लिए बड़ा मंच बन सकती है। सरकार के बिना किसी खास प्रयास के राजस्थान डेस्टिनेशन वेडिंग का हब बन गया है।यहां न केवल देशी-विदेशी सेलिब्रिटीज शादी करने आ रहे हैं। बल्कि यूरोप के छात्र डेस्टिनेशन वेडिंग पर इंटर्नशिप करने आ रहे हैं। ये ट्रेंड बताता है किअगर सरकार किसी सोशल इंवेस्टमेंट समिट का आयोजन करे और डेस्टिनेशन वेडिंग को इसमें शामिल करे तो प्रदेश में इसका बाजार कई गुना बढ़सकता है। यही नहीं सोशल इंवेस्टमेंट समिट में हम स्कूलों, कॉलेजों की गुणवत्ता और संख्या बढ़ाने के लिए देश के बड़े एजुकेशन ग्रुप्स को भी बुलासकते हैं।
आज राजस्थान चिरंजीवी बीमा योजना से एक हेल्थ मॉडल स्टेट बन चुका है। प्रदेश के 90% से ज्यादा परिवारों के पास स्वास्थ्य बीमा है जोपूरे देश में सर्वाधिक है। इस उपलब्धि को हेल्थ टूरिज्म बढ़ाने के मौके के तौर पर भी देखना चाहिए। हम सोशल इंवेस्टमेंट समिट में बड़े अस्पताल समूह, दवा कंपनियों, रिसर्च सेंटर, हेल्थ प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनियों को भी बुला सकते हैं। ये राजस्थान में अस्पताल या प्लांट शुरू करते हैं तो न केवलरोजगार बढ़ेगा, इलाज की बेहतर सुविधा मिलेगी और प्रदेश के बाहर से भी लोग इलाज के लिए यहां आएंगे। आज राजस्थान बड़े सोशल और कल्चरलइंवेस्टमेंट समिट के लिए तैयार है। सरकार अगर ऐसी समिट्स की शुरुआत करती है तो यकीनन राजस्थान में ये परंपरा बनेगी।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)
आज राजस्थान चिरंजीवी बीमा योजना से एक हेल्थ मॉडल स्टेट बन चुका है। प्रदेश के 90% से ज्यादा परिवारों के पास स्वास्थ्य बीमा है जो पूरे देश मेंसर्वाधिक है। इस उपलब्धि को हेल्थ टूरिज्म बढ़ाने, के मौके के तौर पर भी देखना चाहिए।
This article was published in Dainik Bhaskar on 21.03.2023
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