निवेश लाने के लिए पूर्वी देशों का रुख एक समझदार कदम
राइजिंग राजस्थान ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट 2024 से पहले मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का दक्षिण कोरिया और जापान का दौरा पूरा हो चुका है। सीएम बनने के बाद शर्मा की इस पहली विदेश यात्रा का उद्देश्य राजस्थान को पारंपरिक पर्यटन स्थलों की छवि से बाहर निकालते हुए एक व्यावसायिक गंतव्य के रूप में पेश करना था। मुख्यमंत्री ने दक्षिण दक्षिण कोरिया में आधारभूत ढांचे, रसायन, स्टार्टअप और पर्यटन क्षेत्रों में सक्रिय कंपनियों और व्यापार संघों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ अहम बैठकें कीं। इसके बाद, मुख्यमंत्री शर्मा और उनके दल ने जापान का रुख किया। यहां जापानी व्यापार समुदाय और राजस्थान राज्य के बीच सफल साझेदारी को चिह्नित करने के लिए नीमराना दिवस समारोह आयोजित किया गया। इस आयोजन के दौरान सीएम ने कहा, 'राजस्थान में फल-फूल रहा नीमराना जापानी निवेश क्षेत्र, जहां 48 से अधिक जापानी कंपनियों ने 8.34 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का निवेश किया है और 26 हजार नौकरियां उत्पन्न की हैं, हमारे व्यापार करने में आसानी के प्रति प्रतिबद्धता का जीवंत उदाहरण है। इस सफलता से प्रेरित होकर, सरकार दूसरा जापानी निवेश क्षेत्र विकसित कर रही है।' इन दोनों देशों में मौजूद भारत के राजदूतों ने भी अपने संबोधनों में राजस्थान को उन औद्योगिक राज्यों में प्रमुख बताया जो सबसे अधिक निवेश-अनुकूल और व्यापार को बढ़ावा देने की दिशा में तेजी से उभर रहे हैं। लेकिन यहां इन दो देशों की यात्रा से निकले निष्कर्ष से ज्यादा, यह ध्यान रखना जरूरी है कि राजस्थान निवेश की तलाश में किस दिशा की ओर आगे बढ़ रहा है? जब भारत के अधिकांश राज्यों की सरकारें निवेश आकर्षित करने के लिए अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोप या मध्य पूर्व की ओर देख रही हैं। । तब मुख्यमंत्री शर्मा ने दक्षिण कोरिया और जापान जैसे पूर्वी देशों का रुख कर एक सचेत और चतुर निर्णय लिया है।
गौरतलब है कि 2023 की जुलाई-सितंबर तिमाही के दौरान यूके समेत कम से कम 14 पश्चिमी देशों ने जीडीपी में कमी देखी गई है। इसके अतिरिक्त, सात अन्य देश- डेनमार्क, लक्जमबर्ग, बहरीन, आइसलैंड, दक्षिण अफ्रीका, कनाडा और न्यूजीलैंड मंदी में फंसने के जोखिम का सामना कर रहे हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण ऊर्जा सुरक्षा में अनिश्चितता ने इन देशों की घरेलू अर्थव्यवस्थाओं को और अधिक अस्थिर बना दिया है। एसएंडपी 500 और नैस्डैक 100 के गिरते सूचकांकों से संकेत मिलता है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था भी अगले कुछ महीनों में सिकुड़ सकती है।
यदि एक संभावित मंदी आती है, तो अमेरिकी अर्थव्यवस्था के अस्तित्व को बड़ा खतरा हो सकता है, जिससे वैश्विक शेयर बाजारों और अंतरराष्ट्रीय व्यापार में अशांति पैदा हो सकती है। ये सभी बातें पश्चिमी स्रोतों से एफडीआई को अस्थिर बनाती हैं। हालांकि जापान में भी मंदी के संकेत दिख रहे हैं और इसी वजह से टोक्यो में दूसरे जापानी निवेश क्षेत्र की चर्चा हो रही है। लेकिन दक्षिण कोरिया की स्थिति इन सभी देशों से पूरी तरह से अलग है।
दक्षिण कोरिया के अर्थव्यवस्था और वित्त मंत्रालय ने अपनी मासिक रिपोर्ट में बताया है कि देश की अर्थव्यवस्था निरंतर सुधार की ओर बढ़ रही है, जो निर्यात और विनिर्माण उत्पादन के साथ घरेलू मांग में सुधार से प्रेरित है। अगस्त में निर्यात में पिछले साल की तुलना में 11.4% की वृद्धि हुई, जो लगातार ग्यारहवें महीने बढ़ रही है। खनन और विनिर्माण उद्योगों में जुलाई में पिछले साल की तुलना में 5.5% उत्पादन बढ़ा है। इससे पता चलता है कि दक्षिण कोरिया की कंपनियों के पास नए निवेश अवसरों की तलाश करने के लिए समय और संसाधन हैं। राजस्थान के नेतृत्व ने इन संकेतों को सही तरीके से समझा है। ऐसे में पश्चिम की बजाय पूरब की ओर देखना और वहां निवेश के अवसरों की तलाश करना एक समझदारी भरा कदम है।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)
जब देश के अधिकांश राज्यों की सरकारें निवेश आकर्षित करने के लिए यूएसए, ब्रिटेन, यूरोप या मध्य पूर्व की ओर देख रही हैं। राजस्थान ने दक्षिण कोरिया और जापान जैसे पूर्वी देशों की ओर देखने का एक सचेत और चतुर निर्णय लिया है।
|
Comments
Post a Comment